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शिवलिंग पर पहले क्या अर्पित करें? जानें शिव पूजा का सही तरीका

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शिव पूजा

saavan special: भगवान शिव की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। शिव भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान से शिव पूजा करते हैं। शिवलिंग पर विभिन्न वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, जिनमें जल, बेलपत्र, दूध, शहद और दही प्रमुख हैं। लेकिन, कई भक्तों के मन में यह प्रश्न रहता है कि आखिर शिवलिंग पर सबसे पहले कौन सी वस्तु अर्पित करनी चाहिए और पूजा का सही क्रम क्या है। आइए आज हम आपको शिव पूजा के सही तरीके और शिवलिंग पर वस्तुओं को अर्पित करने के सही क्रम के बारे में विस्तार से बताते हैं।

सबसे पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि शिव पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करना है। पूजा का हर चरण एक विशेष अर्थ रखता है।

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शिवलिंग पर अर्पित करने का सही क्रम

शिवलिंग पर वस्तुएं अर्पित करने का एक विशेष क्रम होता है, जिसका पालन करने से आपको शिव पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

जल (पानी): शिवलिंग पर सबसे पहले जल अर्पित करना चाहिए। जल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और यह शीतलता का प्रतीक है। जल चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। जल अर्पित करने से मन शांत होता है और नकारात्मकता दूर होती है। यह माना जाता है कि जल से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।

दूध: जल के बाद दूध अर्पित करना चाहिए। दूध शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। दूध से अभिषेक करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और संतान सुख मिलता है। यह भी माना जाता है कि दूध से अभिषेक करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।

शहद: दूध के बाद शहद अर्पित किया जाता है। शहद मिठास और समृद्धि का प्रतीक है। शहद चढ़ाने से वाणी में मधुरता आती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शहद से अभिषेक करने से दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

दही: शहद के बाद दही अर्पित करें। दही जीवन में स्थिरता और मजबूती का प्रतीक है। दही चढ़ाने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्य सफल होते हैं। दही से अभिषेक करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और मन को शांति मिलती है।

घी: दही के बाद घी अर्पित करें। घी शक्ति और तेज का प्रतीक है। घी चढ़ाने से शारीरिक और मानसिक बल मिलता है तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है। घी से अभिषेक करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

गन्ने का रस (या अन्य पंचामृत घटक): इसके बाद, यदि संभव हो, तो गन्ने का रस या अन्य पंचामृत घटक (जैसे शक्कर/गुड़) भी अर्पित किए जा सकते हैं।

पुनः जल: इन सभी वस्तुओं को अर्पित करने के बाद, अंत में एक बार फिर से शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए ताकि सभी वस्तुएं शिवलिंग से धुल जाएं और शिवलिंग शुद्ध हो जाए।

शिव पूजा करने का सही तरीका

शिवलिंग पर वस्तुएं अर्पित करने के क्रम के अलावा, शिव पूजा का एक विस्तृत तरीका भी होता है:

स्नान और शुद्धिकरण: शिव पूजा शुरू करने से पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्र करें।

संकल्प: शिव पूजा शुरू करने से पहले भगवान शिव के समक्ष अपनी मनोकामना का संकल्प लें।

आवाहन: भगवान शिव का ध्यान करें और उन्हें अपनी पूजा में आने के लिए आमंत्रित करें।

आसन: शिवलिंग को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।

पंचामृत स्नान: यदि आप विस्तृत शिव पूजा कर रहे हैं, तो दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल (या शुद्ध जल) के मिश्रण पंचामृत से शिवलिंग का स्नान कराएं।

वस्त्र/यज्ञोपवीत: भगवान शिव को वस्त्र या यज्ञोपवीत (जनेऊ) अर्पित करें।

चंदन और भस्म: शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और भस्म अर्पित करें। चंदन शीतलता प्रदान करता है और भस्म वैराग्य का प्रतीक है।

पुष्प और बेलपत्र: भगवान शिव को प्रिय पुष्प जैसे धतूरा, आक के फूल, कनेर और विशेष रूप से बेलपत्र अर्पित करें। बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं और माना जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बेलपत्र हमेशा चिकनी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

धूप और दीप: सुगंधित धूप और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

नैवेद्य: भगवान शिव को मौसमी फल, मिठाई, या अन्य सात्विक भोग अर्पित करें। ध्यान रहे कि तुलसी भगवान शिव को अर्पित नहीं की जाती है।

मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ या महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें।

आरती: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें।

प्रदक्षिणा और क्षमा प्रार्थना: शिवलिंग की परिक्रमा करें और शिव पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

भगवान शिव की पूजा सच्ची श्रद्धा और भक्ति से करनी चाहिए। इन नियमों का पालन करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवजी की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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