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पशुपालन योजना: बदल रही है ग्रामीण भारत की तस्वीर

पशुपालन योजना: भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल लाखों किसानों और ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और पोषण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। सरकार पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए लगातार नई योजनाएं ला रही है और मौजूदा योजनाओं में सुधार कर रही है। हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण अपडेट देखने को मिले हैं, जो इस क्षेत्र के विकास को नई गति प्रदान कर रहे हैं।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) में बड़े बदलाव
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) पशुपालन क्षेत्र की एक व्यापक योजना है, जिसमें अब कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना, उद्यमिता को बढ़ावा देना और रोजगार के अवसर पैदा करना है। एनएलएम के तहत अब विभिन्न पशुपालन व्यवसायों के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी का प्रावधान है। उदाहरण के लिए, मुर्गी पालन के लिए ₹25 लाख तक और भेड़ व बकरी पालन के लिए ₹50 लाख तक की सब्सिडी का लाभ मिल सकता है। यह उन उद्यमियों के लिए एक बड़ा अवसर है जो इस क्षेत्र में अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।
इस मिशन के तहत, सरकार पशुपालकों को नई तकनीकों और बेहतर प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसमें पशुओं के स्वास्थ्य, पोषण और प्रजनन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खाते में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के माध्यम से दो समान किश्तों में भेजी जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।
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पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) का सुदृढ़ीकरण
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र सरकार की योजना है। इस योजना का उद्देश्य पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करना और पशुपालन को बढ़ावा देना है। हालिया अपडेट के अनुसार, एलएचडीसीपी के अब तीन मुख्य हिस्से हैं: राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (एलएचएंडडीसी) और पशु औषधि।
एनएडीसीपी के तहत, खासकर फुट एंड माउथ रोग (एफएमडी) जैसे प्रमुख पशु रोगों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक होने के नाते, एफएमडी मुक्त होने की दिशा में अग्रसर है, जिससे दूध और दूध से बने उत्पादों के निर्यात में काफी मदद मिलेगी और किसानों की आय में सुधार होगा। मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां (एमवीयू) भी ग्रामीण क्षेत्रों में पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
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पशु किसान क्रेडिट कार्ड (पशु केसीसी) का विस्तार
पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना किसानों को पशुपालन के लिए आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराकर वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इस योजना के तहत, पशुपालक ₹80,000 तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिसका उपयोग वे पशुओं के उपचार, चारा और देखभाल पर कर सकते हैं। यह योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है। आवेदन प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
राज्य-विशिष्ट पहल और अन्य योजनाएं
केंद्र सरकार की योजनाओं के अतिरिक्त, कई राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं चला रही हैं। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत 90% तक सब्सिडी पर पशुओं की खरीद के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी तरह, मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना जैसी पहलें पशुधन के लिए जोखिम कवर प्रदान कर रही हैं, जिससे पशुओं की आकस्मिक मृत्यु पर पशुपालकों को आर्थिक सहायता मिल सके। कुछ राज्य ‘गर्भवती पशु आहार योजना’ जैसी पहलें भी चला रहे हैं, जिसके तहत गर्भवती पशुओं के लिए विशेष आहार पर सब्सिडी दी जाती है।
मनरेगा पशु शेड योजना
मनरेगा पशु शेड योजना भी एक महत्वपूर्ण पहल है, खासकर बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में। इस योजना के तहत मनरेगा कार्ड धारक पशुपालकों को पशुओं के रखरखाव के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना पशुपालकों की आजीविका को आसान बनाती है और उन्हें अपने पशुओं का बेहतर ध्यान रखने में मदद करती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
पशुपालन क्षेत्र में हो रहे ये नवीनतम अपडेट सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य पशुधन उत्पादकता में सुधार करना, किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, रोगों को नियंत्रण करना और उद्यमिता को बढ़ावा देना है, जिससे भारत का पशुपालन क्षेत्र और भी मजबूत हो सके।
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