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वाशिंगटन सुंदर: भारतीय क्रिकेट का उभरता सितारा
Washington Sundar: भारतीय क्रिकेट में हरफनमौला खिलाड़ियों की हमेशा से एक खास जगह रही है, और इसी कड़ी में एक ऐसा नाम है जो अपनी शांत प्रकृति, सूझबूझ भरी गेंदबाजी और निचले क्रम में दमदार बल्लेबाजी से लगातार प्रभावित कर रहा है – वाशिंगटन सुंदर। चेन्नई में जन्मे इस युवा खिलाड़ी ने बहुत कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी है और एक आशाजनक भविष्य की ओर अग्रसर हैं।
क्रिकेट के मैदान का सफर
5 अक्टूबर 1999 को चेन्नई में जन्मे वाशिंगटन सुंदर का नाम उनके पिता एम. सुंदर ने अपने क्रिकेट मेंटर और गॉडफादर पीडी वाशिंगटन के सम्मान में रखा था। पीडी वाशिंगटन ने एम. सुंदर को उनके शुरुआती दिनों में काफी मदद की थी, जिससे क्रिकेट के प्रति वाशिंगटन सुंदर का रुझान बचपन से ही दिखना शुरू हो गया था। उन्होंने 6 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, और अपनी बहन शैलजा सुंदर के साथ अभ्यास करते थे, जो खुद एक पेशेवर क्रिकेटर हैं।
सुंदर ने घरेलू क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उनकी ऑफ-स्पिन गेंदबाजी और सधी हुई बल्लेबाजी ने उन्हें जल्द ही सुर्खियों में ला दिया। वह 2017 में आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजायंट के लिए खेलते हुए चर्चा में आए, जहाँ उन्होंने अपनी किफायती गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया।
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अंतरराष्ट्रीय करियर और प्रदर्शन
वाशिंगटन सुंदर ने 2017 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे और टी20ई में भारत के लिए पदार्पण किया। हालांकि, उन्हें असली पहचान 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गाबा में अपने टेस्ट डेब्यू से मिली। इस ऐतिहासिक मैच में, उन्होंने दबाव में बल्लेबाजी करते हुए महत्वपूर्ण रन बनाए और कुछ अहम विकेट भी लिए, जिससे भारत ने एक अविश्वसनीय जीत दर्ज की।
पिछले कुछ समय से, सुंदर भारतीय टीम के तीनों प्रारूपों में एक महत्वपूर्ण ऑलराउंडर के रूप में अपनी जगह बना रहे हैं। उनकी खासियत उनकी सटीक ऑफ-स्पिन है जो बल्लेबाजों को बांधे रखती है, और साथ ही उनकी बल्लेबाजी जो निचले क्रम में आकर टीम को मजबूती देती है। हाल ही में, उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट लिए और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 100 विकेट भी पूरे किए, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। वह बिशन सिंह बेदी, भगवत चंद्रशेखर, वीनू माकंड और एस. वेंकटराघवन के बाद लॉर्ड्स में एक पारी में चार या उससे अधिक विकेट लेने वाले पांचवें भारतीय स्पिनर बन गए हैं।
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चोटें और वापसी की चुनौतियां
अपने करियर में वाशिंगटन सुंदर को कई बार चोटों का सामना करना पड़ा है, जिसने उनके खेल के प्रवाह को बाधित किया है। हालांकि, हर बार उन्होंने मजबूत वापसी की है और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर भी, उन्हें शुरुआत में गेंदबाजी का ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन जब मौका मिला, तो उन्होंने ओली पोप और हैरी ब्रूक जैसे महत्वपूर्ण बल्लेबाजों को आउट करके अपनी उपयोगिता साबित की।
अपार संभावनाएं
वाशिंगटन सुंदर अभी 25 साल के हैं और उनमें अपार संभावनाएं हैं। उनकी शांतचित्तता, खेल की समझ और गेंदबाजी तथा बल्लेबाजी में योगदान देने की क्षमता उन्हें भारतीय क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना सकती है। अगर वह चोटों से बचे रहते हैं और लगातार अपने खेल में सुधार करते हैं, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि वह आने वाले वर्षों में भारतीय क्रिकेट के लिए एक प्रमुख हरफनमौला खिलाड़ी साबित होंगे।
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