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अमरोहा में ग्रामीणों ने तेंदुए को पीट-पीटकर मार डाला

Amroha News: अमरोहा के एक गांव में शनिवार शाम उस समय हड़कंप मच गया जब एक तेंदुए ने खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों पर हमला कर दिया। इस हमले में छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। तेंदुए के अचानक हुए इस हमले से ग्रामीण सकते में आ गए और अफरा-तफरी मच गई. हालांकि, शोर सुनकर आसपास के ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर खेत की तरफ दौड़े और गुस्साए ग्रामीणों ने मिलकर तेंदुए को गन्ने के खेत में घेर लिया। इसके बाद जो हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। ग्रामीणों ने तेंदुए को पीट-पीटकर मार डाला।
किसी जानवर को मार देना चिंता का विषय
यह घटना अमरोहा जिले के ग्रामीण क्षेत्र की है, जहां जंगली जानवरों का आबादी वाले इलाकों में आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस तरह से किसी जानवर को मार देना एक गंभीर चिंता का विषय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार की शाम कुछ ग्रामीण अपने खेतों में कृषि कार्य में लगे हुए थे। तभी अचानक एक तेंदुआ कहीं से आ धमका और उसने निर्दयता से उन पर हमला कर दिया। तेंदुए के हमले से खेतों में मौजूद लोगों में चीख-पुकार मच गई।
तेंदुए के तीखे पंजों और दांतों से हमला करने पर छह ग्रामीण घायल हो गए। उनके शरीर पर गहरे घाव आए और कुछ को तो काफी गंभीर चोटें लगीं. घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। ग्रामीणों ने तेंदुए को
तेंदुए पर लाठी-डंडों से हमला
तेंदुए के हमले की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते सैकड़ों ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। उनके हाथों में लाठी-डंडे और अन्य हथियार थे। ग्रामीणों में अपने साथियों पर हुए हमले से भारी गुस्सा था। वे तेंदुए को किसी भी कीमत पर काबू करना चाहते थे। ग्रामीणों ने एकजुट होकर तेंदुए को गन्ने के एक खेत में घेर लिया। चूंकि गन्ना काफी घना होता है, इसलिए तेंदुए के लिए वहां से निकल पाना मुश्किल हो गया।
ग्रामीणों ने चारों तरफ से घेराबंदी कर दी और तेंदुए पर लाठी-डंडों से हमला करना शुरू कर दिया। यह हमला इतना भीषण था कि तेंदुआ ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।
जंगली जानवर को मारना कानूनन अपराध
इस घटना के बाद वन विभाग को सूचना दी गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और तेंदुए के शव को कब्जे में ले लिया। वन अधिकारियों ने बताया कि यह बेहद दुखद घटना है और इस तरह से किसी जंगली जानवर को मारना कानूनन अपराध है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों का गुस्सा स्वाभाविक था क्योंकि उन पर हमला हुआ था, लेकिन फिर भी इस तरह की कार्रवाई से बचना चाहिए था। वन विभाग अब इस मामले की जांच कर रहा है कि तेंदुआ आबादी वाले इलाके में कैसे पहुंचा और क्या उसे पहले से कोई चोट थी।
वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण
यह घटना एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या को उजागर करती है। जैसे-जैसे शहरों का विस्तार हो रहा है और जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं, वन्यजीवों को भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों में आने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और वन विभाग को ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण, जागरूकता अभियान और ग्रामीणों को वन्यजीवों से निपटने के सुरक्षित तरीकों के बारे में शिक्षित करना शामिल है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्रामीणों को तुरंत सहायता और मुआवजा मिले जब वे वन्यजीवों के हमलों का शिकार होते हैं ताकि वे कानून को अपने हाथ में न लें। अमरोहा की यह घटना सबक है कि हमें वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व में रहने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे।
इस घटना पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि ग्रामीणों की कार्रवाई सही थी या इसके लिए कोई और रास्ता अपनाया जाना चाहिए था?
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