धर्म
हरे राम हरे कृष्ण कीर्तन का महत्व

भारत की सनातन संस्कृति में भक्ति और कीर्तन का विशेष स्थान रहा है। भक्ति मार्ग को सरल और सहज बनाने के लिए संतों और आचार्यों ने नाम-संकीर्तन को सर्वोत्तम साधन बताया है। “हरे राम हरे कृष्ण” महामंत्र का कीर्तन मात्र कुछ शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का एक दिव्य साधन है। यह मंत्र कलियुग के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है और इसे महामंत्र की उपाधि दी गई है।
महामंत्र का स्वरूप
“हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।”
यह मंत्र भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों के नामों का संगम है। ‘हरे’ शब्द शक्ति का द्योतक है, जो भगवान की आंतरिक ऊर्जा को दर्शाता है। जब भक्त इस महामंत्र का कीर्तन करता है तो वह ईश्वर की कृपा-शक्ति और स्वयं भगवान दोनों का स्मरण करता है।
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कीर्तन का महत्व
- मन और हृदय की शुद्धि – हरे राम हरे कृष्ण कीर्तन करने से मन के विकार और नकारात्मक भावनाएँ धीरे-धीरे समाप्त होती हैं। नाम-संकीर्तन को आध्यात्मिक स्नान कहा गया है, जो हृदय को निर्मल कर देता है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार – कीर्तन के दौरान सामूहिक रूप से गाए गए नाम से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा न केवल गाने वाले को, बल्कि सुनने वालों को भी शांति और आनंद देती है।
- कलियुग में सरल साधन – शास्त्रों में वर्णित है कि सतयुग में ध्यान, त्रेतायुग में यज्ञ, द्वापरयुग में पूजा और कलियुग में नाम-संकीर्तन ही मोक्ष का साधन है। इस युग में मनुष्य व्यस्त जीवनशैली और अशांति के बीच सरलता से नाम जप और कीर्तन कर सकता है।
- मानसिक तनाव से मुक्ति – आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव, चिंता और अवसाद आम हो गए हैं। हरे राम हरे कृष्ण कीर्तन व्यक्ति के मन को शांति और सुकून देता है। यह ध्यान का ऐसा रूप है जो आनंद के साथ मन को स्थिर करता है।
- भक्ति और एकता का माध्यम – जब भक्त मिलकर कीर्तन करते हैं, तो जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र की सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं। सब एक ही स्वर में भगवान के नाम का गुणगान करते हैं। इस प्रकार कीर्तन सामाजिक एकता और भाईचारे को भी मजबूत बनाता है।
- ईश्वर के प्रति प्रेम का जागरण – कीर्तन केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह हृदय से ईश्वर को पुकारने का साधन है। बार-बार नाम जपने से भगवान के प्रति सच्चा प्रेम और भक्ति जाग्रत होती है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
भक्तों के अनुसार चैतन्य महाप्रभु ने 16वीं शताब्दी में “हरे राम हरे कृष्ण” महामंत्र के कीर्तन को विश्वभर में फैलाया। उन्होंने लोगों को बताया कि केवल नाम-संकीर्तन ही वह मार्ग है जिससे हर कोई ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है। आज इस्कॉन जैसे संगठन इस महामंत्र को विश्वभर में फैलाकर करोड़ों लोगों को भक्ति से जोड़ रहे हैं।
महामंत्र/कीर्तन
“हरे राम हरे कृष्ण” कीर्तन केवल गाना नहीं है, यह आत्मा और परमात्मा का मिलन है। यह साधना हमें न केवल सांसारिक दुखों से मुक्ति दिलाती है बल्कि परम शांति, प्रेम और आनंद की प्राप्ति भी कराती है। आधुनिक जीवन की जटिलताओं में यह महामंत्र हर किसी के लिए सबसे सरल, सहज और प्रभावी उपाय है। इसलिए हर व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय “हरे राम हरे कृष्ण” कीर्तन में लगाना चाहिए और अपने जीवन को आध्यात्मिक आनंद से भर देना चाहिए।
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