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दीपावली 2025: रोशनी, खुशियों और नई शुरुआत का पर्व

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दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार है। यह रोशनी, उमंग, प्रेम और नए आरंभ का प्रतीक माना जाता है। हर साल यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में आती है। 2025 में दीपावली 21 अक्टूबर (मंगलवार) को मनाई जाएगी।

दीपावली का इतिहास और महत्व

दीपावली का इतिहास हजारों साल पुराना है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। तभी से इस दिन दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई।

हिंदू धर्म के अलावा, जैन और सिख धर्म में भी दीपावली का विशेष महत्व है।

  • जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • सिख धर्म में इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी की जेल से रिहाई की याद में “बंदी छोड़ दिवस” मनाया जाता है।

इस प्रकार दीपावली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जो अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

🪔 दीपावली की तैयारियाँ

दीपावली से कई दिन पहले से ही लोग अपने घरों की सफाई शुरू कर देते हैं। माना जाता है कि स्वच्छ और सुसज्जित घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।

लोग अपने घरों को रंगोली, फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।

  • धनतेरस से पर्व की शुरुआत होती है, जब लोग नए बर्तन, सोना-चांदी या वाहन खरीदते हैं।
  • इसके बाद नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) आती है।
  • तीसरे दिन मुख्य दीपावली मनाई जाती है, जब लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं।
  • चौथा दिन गोवर्धन पूजा और पांचवां दिन भाई दूज का होता है।

हर दिन का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है।

💰 लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

दीपावली की रात मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है।

मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, जबकि गणेश जी बुद्धि और सफलता के देवता।

लोग शुभ मुहूर्त में पूजा करके अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

इस दिन व्यापारी वर्ग अपने नए लेखा-जोखा (हिसाब की किताब) की शुरुआत करता है, जिसे “चोपड़ा पूजन” कहा जाता है।

🌃 दीप और सजावट का आनंद

दीपावली की रात हर गली-मोहल्ला दीपों और रोशनी से जगमगा उठता है।

तेल के दीये, मोमबत्तियाँ, लाइटें और रंगोली मिलकर वातावरण को मनमोहक बना देती हैं।

लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार देकर प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

आजकल लोग इको-फ्रेंडली दीपावली मनाने की ओर भी बढ़ रहे हैं — कम पटाखे, ज्यादा खुशियाँ!

🧘‍♀️ दीपावली का आध्यात्मिक संदेश

दीपावली केवल बाहरी रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि अंतरात्मा के अंधकार को मिटाने का संदेश देती है।

यह हमें सिखाती है कि जैसे दीप अंधकार को दूर करता है, वैसे ही ज्ञान, सत्य और प्रेम हमारे जीवन के नकारात्मक विचारों को मिटा सकते हैं।

यह पर्व आत्मचिंतन, कृतज्ञता और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाने का अवसर है।

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